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Showing posts from July, 2017

क्यों जमाना दुश्मन है, बेटी का हर बार

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क्यों जमाना दुश्मन है, बेटी का हर बार। क्यों पहले ही जन्म के, बेटी देता मार।। जीने का अधिकार दो।। 1 मौत के बाद तो यहाँ , सभी चिता में जाय। ये जग बैरी बेटियाँ, जिन्दा दिया जलाय।। माँ कुछ तो उपाय करो ।। 2 नर-नारी दोनों बने, इस जग के आधार। फिर क्यों दुनिया एक को, समझ रही बेकार।। नारी से संसार है। 3 जग में नारी शक्ति तो, आप दिखाई देत। जग बैरी फिर भी सदा, उसे लगाये बेंत। जीवन कांटों से भरी। 4 दुर्गा, काली शक्ति मैं , समझ नहीं लाचार। जल जाओगे छेड़ मत, मैं जलती अंगार। दुश्मन जमाना बच के। 5 बैरी जग से मैं सभी , छिन लूँगी अधिकार। नहीं सहूँगी अब कभी , कोई अत्याचार। । नारी आगे बढ़ रही। 6 —लक्ष्मी सिंह 

राख

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विधा - दोहा  🌹🌹🌹🌹🌹🌹 राख तन पे लगाय के, बसहा बैल सवार। शिव के दम पे है खड़ा, ये पूरा संसार।। 1 दुर्बल नारी जान के, मत करना अपमान। चिंगारी है राख में, क्षण में लेगी जान।। 2 रिश्तों में विश्वास है, कभी न हो कमजोर। आज राख जल हो रही , रिश्तों की हर डोर।। 3 अहंकार जो भी किया, मिटा हो गया खाक। रूई लिपटी आग ज्यों, जलकर होती राख।। 4 नारी के उत्थान की, जोर शोर से बात। फिर क्यों नारीआज भी, जलकर होती राख।। 5 देखो फाँसी चढ़ रहा, अपना आज किसान।  खेत जल राख हो गया, टूटा हर अरमान।। 6 बेटी से बनकर बहू ,रही निभाती धर्म। राख  जला कर के किया, आयी तनिक न शर्म।। 7 ईर्ष्या जैसी आग को, मन में कभी न राख। जलभुन कर जीवन सदा, इसमें होता खाक ।। 8 मानव हठ स्वभाव तो ,चिता संग ही जाय। रस्सी जलकर राख हो, ऐठन कभी न जाय।। 9 चिंता चिता समान है, तन मन करती राख। एक बार जलते चिता, चिंता में दिन रात। 10 छैल छबेली मोहिनी, हँस हँस मारे आँख। देख पड़ोसी जल मरा,बिन माचिस के राख।। 11 मानव तन न...

अहंकार

 July 22, 2017 ????? अहंकार तो होता है केवल एक विचार। इसमें रहता ही नहीं कभी कोई भी सार।।१  अहंकार है मानव में सकारात्मक अभाव। नकारात्मकता भर देता है इसका लगाव।।२  अहंकार हर लेता है बुद्धि, विद्या और ज्ञान। अहंकार में जो भी पड़े नित-नित घटता मान।।३  अहंकार वो बीज है जिससे पनपता विकार। मन से बाहर फेंक दो फिरआने ना दो द्वार। ।४  ईर्ष्या, दोष, क्रोध तो अहंकार में है भरमार। दूसरों की बुराई करें खुद को देखे ना एक बार।।५  अहंकार को त्याग दो ऐ समझदार इन्सान। नहीं तो लुटिया डूबो देगा देख तेरा भगवान।।६  मिट्टी का तन है बना क्यों करता तू अहंकार। एक दिन तो जाना ही पड़ेगा छोड़ तुझे संसार।।७  `मैं ही सब करता हूँ ‘ यही तो है अहंकार। ‘मैं’ का ‘मैं’ से हटाकर करो सबका सत्कार।।८  पापी मूढ़ कंस को था खुद पर बड़ा अहंकार। अपने सगे बहन बहनोई को बंद किया कारागार।।९  जब भी पृथ्वी पर अहंकार बढ़ा प्रभु लिए अवतार। चुन-चुन हर अहंकारी,पापी का किया तब संहार।।१०  अहंकार वश दुर्योधन,शकुनि चलता रहा चाल। अपने ही हाथों से खुद बु...