अहंकार
July 22, 2017
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अहंकार तो होता है केवल एक विचार।
इसमें रहता ही नहीं कभी कोई भी सार।।१
इसमें रहता ही नहीं कभी कोई भी सार।।१
अहंकार है मानव में सकारात्मक अभाव।
नकारात्मकता भर देता है इसका लगाव।।२
नकारात्मकता भर देता है इसका लगाव।।२
अहंकार हर लेता है बुद्धि, विद्या और ज्ञान।
अहंकार में जो भी पड़े नित-नित घटता मान।।३
अहंकार में जो भी पड़े नित-नित घटता मान।।३
अहंकार वो बीज है जिससे पनपता विकार।
मन से बाहर फेंक दो फिरआने ना दो द्वार। ।४
मन से बाहर फेंक दो फिरआने ना दो द्वार। ।४
ईर्ष्या, दोष, क्रोध तो अहंकार में है भरमार।
दूसरों की बुराई करें खुद को देखे ना एक बार।।५
दूसरों की बुराई करें खुद को देखे ना एक बार।।५
अहंकार को त्याग दो ऐ समझदार इन्सान।
नहीं तो लुटिया डूबो देगा देख तेरा भगवान।।६
नहीं तो लुटिया डूबो देगा देख तेरा भगवान।।६
मिट्टी का तन है बना क्यों करता तू अहंकार।
एक दिन तो जाना ही पड़ेगा छोड़ तुझे संसार।।७
एक दिन तो जाना ही पड़ेगा छोड़ तुझे संसार।।७
`मैं ही सब करता हूँ ‘ यही तो है अहंकार।
‘मैं’ का ‘मैं’ से हटाकर करो सबका सत्कार।।८
‘मैं’ का ‘मैं’ से हटाकर करो सबका सत्कार।।८
पापी मूढ़ कंस को था खुद पर बड़ा अहंकार।
अपने सगे बहन बहनोई को बंद किया कारागार।।९
अपने सगे बहन बहनोई को बंद किया कारागार।।९
जब भी पृथ्वी पर अहंकार बढ़ा प्रभु लिए अवतार।
चुन-चुन हर अहंकारी,पापी का किया तब संहार।।१०
चुन-चुन हर अहंकारी,पापी का किया तब संहार।।१०
अहंकार वश दुर्योधन,शकुनि चलता रहा चाल।
अपने ही हाथों से खुद बुलवाया था अपना काल।।११
अपने ही हाथों से खुद बुलवाया था अपना काल।।११
रामायण का रावण था बड़ा ही ज्ञानी प्रतापी।
अहंकार के वशीभूत होकर मारा गया वो पापी।।१२
अहंकार के वशीभूत होकर मारा गया वो पापी।।१२
अहंकार है मूढ़ता जो नित विष का करता पान।
वास्तविकता से दूर रखे सदा अनभिज्ञ, अज्ञान।।१३
अहंकार के भीतर अप्रिय अवगुणों का भंडार।
खतरनाक बीमारी ये इसका नहीं कोई उपचार।।१४
खतरनाक बीमारी ये इसका नहीं कोई उपचार।।१४
अहंकार जो भी किया हो गया मिटकर खाक।
रूई में लिपटी आग ज्यो जलकर होता है राख।।१५
रूई में लिपटी आग ज्यो जलकर होता है राख।।१५
अहंकारी व्यक्ति अपनी ही हानि करता आप।
अहंकार सम दुनिया में दूजा नहीं है कोई पाप।।१६
अहंकार सम दुनिया में दूजा नहीं है कोई पाप।।१६
गुरू ज्ञान,साधु संगति,प्रभु को त्याग देता अहंकार।
ऐसी खाई में ले जा झोंकता जहाँ घोर अंधकार।।१७
ऐसी खाई में ले जा झोंकता जहाँ घोर अंधकार।।१७
अहंकारी मूढ़ व्यक्ति का निश्चित समझो सर्वनाश।
विनम्र,शालीन बनो सदा होगा नित तेरा विकास।।18
_लक्ष्मी सिंह
विनम्र,शालीन बनो सदा होगा नित तेरा विकास।।18
_लक्ष्मी सिंह
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