वक्त
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विधा - दोहा छंद
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वक्त एक ऐसा गुरू, बिना कहे दे ज्ञान।
जीवन में जीता सदा, जिसे वक्त का भान।। 1
वक्त बेवक्त वक्त में, ऐसा वक्त दिखाय।
जीवन भर भूले नहीं, ऐसा सबक सिखाय।। 2
वक्त कटे कटता नहीं, दर्द भरी है रात।
कोई भी साथी नहीं, समझे मन की बात।। 3
वक्त बुरा जब आय तो, उम्मीदों को थाम।
कर्म सदा करते रहो, लेकर प्रभु का नाम।। 4
चलता ही रहता सदा, वक्त बड़ा बलवान।
ढला वक्त अनुरूप जो, वही है ज्ञानवान।। 5
चाल बहुत ही तेज है, वक्त सदा गतिमान।
नापे जाये जो इसे, होता वही महान।। 6
वक्त किसी का भी नहीं, इसे न कोई चाह।
नियत वेग से ये चले , कभी रूके न राह।। 7
रोक न पाये वक्त को, अनल वायु की चाल।
फांस न पाये वक्त को, आखेटक के जाल।। 8
वक्त बदलता है सदा, बदल वक्त के साथ ।
जीवन में अपने सदा, चल उसूल के हाथ।। 9
वक्त बीतता जा रहा, रह जाती बस याद।
वक्त गुलाम किया हमें, खुद घूमे आजाद।। 10
काम वक्त पर जो किया, मन में खुशी समाय।
अगर वक्त पर ना किया, वो पीछे पछताय।। 11
वक्त गुजर जो भी रहा, वे इतिहास बनाय।
ये तो कल का आज को, दर्पण एक दिखाय।। 12
🌹🌹🌹🌹 —लक्ष्मी सिंह 💓☺
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