अन्तर्मन



चिंतन-मंथन कीजिए , अन्तर्मन से रोज ।
दिव्य दृष्टि होगी प्रखर , सहज सत्य की खोज ।।

राधा जी धड़कन बसे, अन्तर्मन में श्याम।
रोम-रोम सुमिरन करें, हर पल तेरा नाम ।।

जब अन्तर्मन से मिले,कोई आशीर्वाद।
जागे किस्मत इस तरह, दुनिया करती याद।।

अन्तर्मन की वेदना,उभर कंठ में आय।
अधरों को छूते हुए, मुख से निकले हाय।।

देना दुख मन को नहीं, वहाँ बसे भगवान।
अन्तर्मन की आह से, होता है नुकसान।।
🌹🌹🌹🌹—लक्ष्मी सिंह

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