शब्द -श्रम, भ्रम, शर्म, धर्म ,कर्म
श्रम का फल मिलकर रहे, लगती थोड़ी देर।
फल इतना मीठा लगे, फीके लगते बेर।।१
भ्रम में पड़ कर जो किया, खुद को ही बर्बाद
पास शेष बचता नहीं, रह जाती फरियाद।।२
पास शेष बचता नहीं, रह जाती फरियाद।।२
जाने कैसा दौर है, रही नहीं अब शर्म।
सही गलत समझे नहीं, हुये लोग बेशर्म।।३
सही गलत समझे नहीं, हुये लोग बेशर्म।।३
अमन चैन कायम रहे, तभी धर्म का मोल।
पूजा पाठ अजान सब, वरना खाली बोल।।४
कलयुग में सबसे बड़ा, है मानव का कर्म।
कर्म करे किस्मत बने, जीवन का यह मर्म।।५
कर्म करे किस्मत बने, जीवन का यह मर्म।।५
-लक्ष्मी सिंह
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