तिमिर


जिसके हृदय सदैव ही, प्रभु का होता वास।
ताप – तिमिर का तनिक भी, उसे न हो आभास।। १।

पाप तिमिर सब मिट गया, फैला सत्य प्रकाश।
आततायी प्रकृति का, करके समूल नाश।। २।

तिमिर प्रकाश से पहले, फिर प्रकाश के बाद।
सुख चाहे दुख में रहो, इतना रखना याद।। ३।
🌹 🌹 🌹 🌹 –लक्ष्मी सिंह 💓 ☺

Comments

Popular posts from this blog

एक चतुर नार

हमसफ़र

चंद्र ग्रहण