खुद से प्यार।

🌹🌹विधा - दोहा छंद 🌹🌹
बात पते की मैं कहूँ, सुन लो मेरे यार। 
दूजे खातिर मर लिया, खुद से कर लो प्यार।। 1

खुद के लिए भी बनिए, आप ईमानदार। 
सीखो तुम अपने लिए, करना खुद से प्यार।। 2

जीवन में थोड़ा समय, खुद के लिए निकाल। 
खुद पर पहले ध्यान दे, फिर रख सबका ख्याल।। 3

खुद से करना प्रेम तो, होता मनुज स्वभाव। 
खुद ही खुद से पूछिए, मिलेगा सब जवाब।। 4

खुद का किसी से तुलना, करना है बेकार। 
जैसे हो वैसे करो, खुद को तुम स्वीकार।। 5

दोषी खुद को मान कर, बिन गलती अफसोस। 
बंद करो धिक्कारना, खुद को देना दोष।। 6

खुद को लल्लू नासमझ, और समझना मंद। 
नीचा दिखाना खुद को, कर दो बिलकुल बंद।। 7

खुद से खुद को तौलिए, जाने खुद का मोल। 
व्यर्थ यहाँ कोई नहीं, हर कोई अनमोल।। 8

अपनी गलती को सदा, करें स्वयं स्वीकार। 
गलती से लेकर सबक, उसका करो सुधार।। 9

खुद के प्रति दयालु बने, समझे खुद को खास। 
हिम्मत ताकत हौसला, बढ़े आत्मविश्वास।। 10

मन में हमेशा रखना, सकारात्मक विचार। 
नकारात्मक विचार को, आने ना दो द्वार।। 11

ऐसा कुछ मन की करें , जो आपको पसंद। 
जो सबको सुख से भरे, खुद पाये आनंद।। 12

हँसिये और हँसाइये, सदा रखे मुस्कान। 
सारी समस्या का यहाँ , हास्य है समाधान।। 13

प्रसन्न रहना ही सफल, जीवन का है राज। 
अतः स्वयं का ना करें, कभी नजरअंदाज।। 14

एक कला है मनुज का, करना खुद से प्यार। 
आयेगें करीब सभी, मित्र और परिवार।। 15

🌹🌹🌹🌹—लक्ष्मी सिंह 💓

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