रब कहाँ ?






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मात - पिता मासूम में, रब बसते हैं रोज। 
नादाँ मानव रब भला, कहाँ रहा है खोज।। १

रब तलाश खुद में करो, फिर दूजे में ढूंढ। 

मिल जायेगा रब तुझे, नहीं रहेगा मूढ़।। २
मन में है विश्वास तो, पत्थर में भगवान। 
वरना दुनिया में सभी, लगते हैं शैतान।। ३

इंसा बस इंसान है, समझ नहीं भगवान।
कलयुग में मत खोजिए, रब जैसा इंसान ।। ४

इंसानों में रब बसे, ये है सच्ची बात। 
पर कलयुग ने दे दिया, अब इसको भी मात।। ६

करना है तो कीजिए, खुद में खुदा तलाश। 
मिल जायेगा खुद खुदा, रख खुद पर विश्वास।। ७


🌹 🌹 🌹 🌹 -लक्ष्मी सिंह 💓 

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