होली

पिचकारी ते श्याम की, तन मन सब रँगि जाय।
भक्ति भाव रस प्रेम से, तन मन भींगा जाय।। 1

होली की दस्तक भई, मौसम घोले भंग।
कहीं कहीं महफिल जमी, कहीं कहीं हुड़दंग।। 2

लौंगा और इलाइची, का लगवाया पान।
सुन कर मेरी प्रार्थना, जुटे सब मेहमान।। 3

होली ऐसी मद भरी, बूढ़ेभये जवान।
नैनों से घायल करें, मारे तीर कमान।। 4

होली के दिन भूलिए, भेदभाव अभिमान।
तन मन को निर्मल करे, प्रेम रंग पहचान।। 5

रोम-रोम चंपा घुली, बेला महके अंग।
अबके होली जो मिले, पिया हमारे संग। 6

गोरे गोरे अंग पै, चटख चढ़ि गये रंग।
लाल नील पीले हरे, रँगे अंग प्रत्यंग।। 7

होली आई सोच के, कब से हुए अधीर।
बालम आये फाग में, फिर से उड़े अबीर।। 8

हर दिन हर पल हर घड़ी, खेल रहा दिल फाग।
मेरे मन में बह उठे, मृदु शीतल अनुराग।। 9

मौका आया यार ने, डाला नहीं गुलाल।
मुरझाये से ही रहे, मेरे दोनों गाल।।10

गली गली टोली चली, उड़त अबीर गुलाल।
धरती से आकाश तक, लागे लालम लाल।। 1 1

सजे हमारे आँगना, होली के त्योहार।
बुरी बलाये दूर हो, शगुन सजाये द्वार।। 12



🌹 🌹 🌹 🌹 —लक्ष्मी सिंह 

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