प्रेम
पीकर प्याला प्रेम का, मैं तो हुई मलंग।
मतवाली बन डोलती, जैसे उड़े पतंग।। १
सबसे पावन प्रेम है, कहते ज्ञानी लोग।
जिस तन लागे वो सहे, बड़ा भयानक रोग।। २
सत्य ललित कोमल कुसुम, प्रेम पंथ अज्ञात।
मधुर भाव सम मधुरिमा, सरस सुभग हर बात।। ३
कठिन मार्ग है प्रेम का, माँगे हर बलिदान।
इस पथ से जो डिग गया, मिले नहीं स्थान।। ४
बिना शर्त इस प्रेम का,होता रहे प्रवाह।
जो शर्तों में बाँधता, मुश्किल है निर्वाह।। ५
सुखद सुगंधित सुमन सम, सृष्टि सृजक श्रृंगार।
सरल समर्पित स्नेह से, सुखद सुधा संसार।। ६
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