महुआ

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महुआ मादकता भरा, मधुकर मदिर सुगंध।
प्रेम पथिक प्यासा फिरे, प्रिय पागल प्रेमांध।। १

भोजन गरीब का रहा, खाते किशमिश मान।
रहा जन्म से मरण तक , महुआ इनकी जान।।२

🌹 🌹 🌹 🌹 –लक्ष्मी सिंह 💓 ☺

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