ना मै तुलसीदास हूँ,

ना मै तुलसीदास हूँ, ना ही संत कबीर।
फिर क्यों दुनिया देख कर, कलम बहाये नीर।। १

लय-यति-गति-सुर-ताल से, मैं तो हूँ अनजान ।
गुणी जनों के साथ से , मिल जाएगा ज्ञान ।।२
– लक्ष्मी सिंह 💓 ☺

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