वीर

वीर साहसी बनो। यूँ न आलसी बनो। सूर्य चंद्र -सा बनो। रत्न यत्न से चुनो। लक्ष्य साध के बढ़ो। धैर्य बाँध के बढ़ो। तुंग श्रृंग पे चढ़ो। पुण्य पंथ पे बढ़ो। हौसला बुलंद हो। जीतना पसंद हो। मर्त्य हो विचार लो। पंख को पसार लो। दिव्य कीर्ति मान हो। सर्व शक्ति मान हो। आर्य अंश ज्वाल हो शूर पूत लाल हो। लक्ष्य भेद तीर से। स्वेद रक्त नीर से। कर्म की कटार से। सत्य के विचार से। पीर स्वाद जो चखा। ध्यान लक्ष्य पे रखा। दीप आस का जला । टाल दे सभी बला। बीज धूल में मिला। फूल तो तभी खिला। वीर हो जयी बनो । स्वप्न यत्न से जनो। देश मान के लिए। आन बान के लिए। स्वाभिमान के लिए। जिस्म जान के लिए। हारना कभी नहीं। टालना कभी नहीं। यत्न हो प्रयास हो। साँस-साँस आस हो। भावना मिटे नहीं। स्वार्थ में बँटे नहीं। बाँटना खुशी सदा। सोचना नई सदा लक्ष्मी सिंह नई दिल्ली