पिचकारी ते श्याम की, तन मन सब रँगि जाय। भक्ति भाव रस प्रेम से, तन मन भींगा जाय।। 1 होली की दस्तक भई, मौसम घोले भंग। कहीं कहीं महफिल जमी, कहीं कहीं हुड़दंग।। 2 लौंगा और इलाइची, का लगवाया पान। सुन कर मेरी प्रार्थना, जुटे सब मेहमान।। 3 होली ऐसी मद भरी, बूढ़े भये जवान। नैनों से घायल करें, मारे तीर कमान।। 4 होली के दिन भूलिए, भेदभाव अभिमान। तन मन को निर्मल करे, प्रेम रंग पहचान।। 5 रोम-रोम चंपा घुली, बेला महके अंग। अबके होली जो मिले, पिया हमारे संग। 6 गोरे गोरे अंग पै, चटख चढ़ि गये रंग। लाल नील पीले हरे, रँगे अंग प्रत्यंग।। 7 होली आई सोच के, कब से हुए अधीर। बालम आये फाग में, फिर से उड़े अबीर।। 8 हर दिन हर पल हर घड़ी, खेल रहा दिल फाग। मेरे मन में बह उठे, मृदु शीतल अनुराग।। 9 मौका आया यार ने, डाला नहीं गुलाल। मुरझाये से ही रहे, मेरे दोनों गाल।।10 गली गली टोली चली, उड़त अबीर गुलाल। धरती से आकाश तक, लागे लालम लाल।। 1 1 सजे हमारे आँगना, होली के त्योहार। बुरी बलाये दूर हो, शगुन सजाये द्वार।। 12 ...