अनुप्रास अलंकार युक्त दोहे
मदमाती मनमोहनी, मनहर मोहक रूप।
मृगनयनी मायावती, मुस्काती मुख धूप।। १
सुखद सुगंधित सुमन सम, सृष्टि सृजक श्रृंगार।
सरल समर्पित स्नेह से, सुखद सुधा संसार।। २
सरल समर्पित स्नेह से, सुखद सुधा संसार।। २
महुआ मादकता भरा, मधुकर मदिर सुगंध।
प्रेम पथिक प्यासा फिरे, प्रिय पागल प्रेमांध।। ३
प्रेम पथिक प्यासा फिरे, प्रिय पागल प्रेमांध।। ३
सुरसरि शंकर सिर सजे, शोभा सुमन समान।
सेवत संतनजन सदा, सुमिरत सकल जहान।। ४
सेवत संतनजन सदा, सुमिरत सकल जहान।। ४
बातूनी हर बात पर, कितनी बात बनाय।
बात-बात में बात को, देती है उलझाय।। ५
बात-बात में बात को, देती है उलझाय।। ५
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