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Showing posts from February, 2018

इंटरनेट

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      कल्प वृक्ष सम बन गया, अब तो इंटर नेट। जो जोड़े संसार को, वैज्ञानिक की भेंट।। १       कितना अजीब हो रहा , समय बड़ा ही आज । सभी लगे हैं नेट पर , त्यागे अपने काज ।।२ कटता इंटर नेट जब, सब होते बेहाल। तड़पे पानी के बिना, मछली जैसा हाल।। ३        –लक्ष्मी सिंह   

ऋतु वसंत की आई

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सुरभित स्वर्ण मुकुट पहने  मधुकर सुषमा छाई है।  बासंती परिधान पहन ,  ऋतु वसंत की आई है। आनंद उमंग संग में,   भर जीवन आलिंगन में।   मस्ती छाया बयार में,   खिला पुष्प मन मधुवन में।   प्रेम सुधा वर्षाई है,   ऋतु वसंत की आई है। टेसू,पलाश वन में फूले,   पीली सरसों डोल रहे।   कोयलिया काली बोले,   कण-कण में रस घोल रहे।   महुआ रस टपकाई है,   ऋतु वसंत की आई है। मादक मौसम छाया है,   वसुधा के इस आँगन में।   मोहक प्यारे रंगों में,   वीथिन में, वन-उपवन में।   नव किसलय दल छाई है,   ऋतु वसंत की आई है। प्रभु हाथ सृष्टि पर फिरता,   जीवन वसंत खिल उठता।   मृदु सुप्त सपने सजाता,   सृष्टि नव रंग मिल उठता।   रूप सलोना पाई है,   ऋतु वसंत की आई है। सुरभित स्वर्ण मुकुट पहने   मधुकर सुषमा छाई है।   बासंती परिधान पहन,   ऋतु वसंत की आई है। —लक्ष्मी सिंह

प्रेम

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पीकर प्याला प्रेम का, मैं तो हुई मलंग। मतवाली बन डोलती, जैसे उड़े पतंग।। १ सबसे पावन प्रेम है, कहते ज्ञानी लोग। जिस तन लागे वो सहे, बड़ा भयानक रोग।। २ सत्य ललित कोमल कुसुम, प्रेम पंथ अज्ञात। मधुर भाव सम मधुरिमा, सरस सुभग हर बात।। ३ कठिन मार्ग है प्रेम का, माँगे हर बलिदान। इस पथ से जो डिग गया, मिले नहीं स्थान।। ४ बिना शर्त इस प्रेम का,होता रहे प्रवाह। जो शर्तों में बाँधता, मुश्किल है निर्वाह।। ५ सुखद सुगंधित सुमन सम, सृष्टि सृजक श्रृंगार। सरल समर्पित स्नेह से, सुखद सुधा संसार।। ६        – लक्ष्मी सिंह   

महुआ

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      महुआ मादकता भरा, मधुकर मदिर सुगंध। प्रेम पथिक प्यासा फिरे, प्रिय पागल प्रेमांध।। १ भोजन गरीब का रहा, खाते किशमिश मान। रहा जन्म से मरण तक , महुआ इनकी जान।।२        –लक्ष्मी सिंह   

आज कल के युवा वर्ग

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        युवा वर्ग तो आज कल, झूठा करें प्रपोज। बदले कपड़ों की तरह,अपना साथी रोज।। १। युवा वर्ग में आज कल, पागलपन की होड़। संस्कारों को भूलकर, होती अंधी दौड़।। २। खेद, आप समझे नहीं, नासमझी का कोढ़। गड्ढे में खुद जा गिरे, क्यों मृगतृष्णा ओढ़।।३।        -लक्ष्मी सिंह   

गुलाब

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      सुमनों में प्यारा सुमन, कोमल नर्म गुलाब। मंत्र-मुग्ध मन को करे, खुश्बू का सैलाब ।। 1। लाक्षा, पाटल, शतपत्र, तरह-तरह के नाम। गुणकारी गुलाब बहुत, इत्र दवा में काम।। २। जगह-जगह पर लग रहें, रसिक पुष्प का हाट। कार्ड लाल गुलाब लिए, देखें रसिया बाट।।३।        -लक्ष्मी सिंह