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Showing posts from March, 2018

सिन्दूर

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लाल रंग सिन्दूर का, है शक्ति का प्रतीक। कमजोरी समझो नहीं , दुर्गा रूप सटीक।। १ सुर्ख लाल सिन्दूर में, छुपा शक्ति का राज। इस ताकत के सामने, हार गये यमराज।। २ माँग भरी सिन्दूर ये, नहीं सिर्फ श्रृंगार। पति पर जब विपदा पड़े, बन जाता हथियार ।। ३ चुटकी भर सिन्दूर में, है पूरा ब्रह्मांड। मंगल सूचक जो सदा, रखे सुहाग अखंड।। ४ दिल से दिल मिलता नहीं, क्या करना सिन्दूर। ऐसे बंधन से अलग, अच्छा रहना दूर।।५ —लक्ष्मी सिंह

अप्रिल फूल

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·   🌹   🌹   🌹   🌹   रहना सब हर हाल में, ठंड़ा-ठंडा कूल।   आने वाला जल्द ही , अप्रिल वाला फूल।। 🌹   🌹   🌹   🌹   -लक्ष्मी सिंह   💓   ☺

भाव

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      एक नाव हो भाव की, लय-सुर की पतवार। फिर कुछ ऐसा हम लिखें, जिसमें जीवन धार।। १ जैसा मन में भाव हो, वैसा ही लिख पाय। भाव सभी मोती बने. कागज पर झड़ जाय।। २ -लक्ष्मी सिंह      -लक्ष्मी सिंह   

जल संरक्षण

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      जल से ही जीवन बना, जल जीवन आधार। रखो बचाकर जल सदा, जल जीवन का सार।।१ जल से ही होता सदा, अपना सारा काम। जल संरक्षण के लिए, करें उपाय तमाम।। २ मचा हुआ चारों तरफ, जल बिन हाहाकार। होती है जल के लिए, आपस में तकरार।। ३ जल बिन है जीवन नहीं, इतना रखना याद। तड़पोगे इसके बिना, मत कर जल बर्बाद।। ४ माना पानी का नहीं, लगता कोई मोल। पर जल जीवन के लिए, होता है अनमोल।। ५ किस प्रकार से जल बचे, इसका करो प्रयास। धन-दौलत से कीमती, पानी सबसे खास।। ६ जल-संकट नित बढ़ रहा, हुआ रूप विकराल। त्राहि-त्राहि सब कर रहे, सूखे से बेहाल।। ७ सूख रही है यह धरा, सूखी नदियाँ ताल। गया किधर जल था यहाँ, बन कर खड़ा सवाल।। ८ बूंद-बूंद अमृत भरा, फेको मत बेकार। जल बगैर कुछ भी नहीं, गलती करो सुधार।। ९ बड़ा पाप जल फेंकना , कहते वेद पुराण। सभी जीव करते ग्रहण, जल से पोषित प्राण।। १० जल से सकल जहान है, जल बिन सब श्मशान। जल संरक्षण सब करे, कीमत को पहचान।। १ १ जल की ताकत को समझ,हे मानव अज्ञान। इसे बचाओ मान लो, कहता है विज्ञान।।...

माँ

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        माँ के दामन में रहे, सिर्फ वफा के फूल। औलादों के हर सितम, हँस कर करे कबूल।। १ माँ को दुख देना नहीं, मत करना तुम भूल। माँ जो भी देती दुआ, भगवन करे कबूल।। २ माँ होती ममतामयी, करुणा का अवतार। माँ छाती के दूध का, सभी हैं कर्जदार।। ३ माँ अपना सबकुछ करे, बच्चों पर कुर्बान। होता दुनिया में नहीं, कोई मात समान।। ४ माँ के चरणों में बसे, काशी-गया-प्रयाग। गलती से करना नहीं, अपनी माँ का त्याग।। ५       -लक्ष्मी सिंह    

अनुप्रास अलंकार युक्त दोहे

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 March 12, 2018       मदमाती मनमोहनी, मनहर मोहक रूप। मृगनयनी मायावती, मुस्काती मुख धूप।। १ सुखद सुगंधित सुमन सम, सृष्टि सृजक श्रृंगार। सरल समर्पित स्नेह से, सुखद सुधा संसार।। २ महुआ मादकता भरा, मधुकर मदिर सुगंध। प्रेम पथिक प्यासा फिरे, प्रिय पागल प्रेमांध।। ३ सुरसरि शंकर सिर सजे, शोभा सुमन समान। सेवत संतनजन सदा, सुमिरत सकल जहान।। ४ बातूनी हर बात पर, कितनी बात बनाय। बात-बात में बात को, देती है उलझाय।। ५        -लक्ष्मी सिंह