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Showing posts from May, 2018

आजा रे तू काले बदरा ,ले घनघोर घटा रे

आजा रे तू काले बदरा ,ले घनघोर घटा रे। जीवन में खालीपन घेरा ,सूखा नीर नयन रे। नाम अधर पर तेरा रहता ,हर पल मनभावन रे। गरज-गरज कर उमड़-घुमड़ कर ,बरसो बन सावन रे। नीले-नीले आसमान में ,इंद्रधनुष सा छा रे। मेरे मन की पीड़ा हर ले ,थोड़ा नीर बहा रे। विरह अश्रु छुप जाय छुपाना ,छम-छम जल बर्षा रे  । आजा रे तू काले बदरा ,ले घनघोर घटा रे। चातक बना निहारे नैना ,आंखें पथराई रे। बेबस मनवा मुझ विरहन की ,पल-पल घबराई रे। मूक बनी सी दूर क्षितिज में ,देखूँ सजल नयन रे। आमंत्रण दे रही तुम्हें मैं ,अंतस लगी अगन रे। किसको व्यथा सुनाऊँ अपनी ,मन को कुछ समझा रे। आजा रे तू काले बदरा ,ले घनघोर घटा रे। अँखिया थक गई बाट जोहते ,सूना मन आँगन रे। फिर भी आस लगी दर्शन की ,बाट तकूँ साजन रे। झूठे-मूठे दिलासा देकर ,कब तक बहलाऊँ रे। कुशल क्षेम जानूँ मैं कैसे ,ह्रदय धीर पाऊँ रे। मिलने मुझसे अब आ जाओ ,दिल को ना तड़पा रे। आजा रे तू काले बदरा ,ले घनघोर घटा रे। श्याम -श्याम मतवाले बादल ,आसमान से आ रे। तपती हृदय शुष्क मन मेरा ,शीतल जल बरसा रे। निरीह अकेली मन बावरा ,कुछ संदेशा ला रे। बड़...

दोस्त

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यूँ दोस्त जीवन में मिल ही जाते हैं। जो दिल को बहुत ही ज्यादा भाते हैं। हाथ बढ़ा कर मुझे निकाल लाते हैं। फँस जाऊँ मैं वक्त के भँवर में अगर, तब वह सूर्य की किरणें बन छाते हैं। हो घना अँधेरा जीवन में जब कभी हार को भी जीत में बदलना जाने, मैं हूँ ना कह सीने से लगाते है । जो दोस्त के लिए जीवन लुटाते हैं। सच्चा दोस्त आँसू पोंछ कर सदा , इस दुनिया में धनवान कहलाते हैं। दोस्ती ही है वो अनमोल रतन धन , जिसे कोई भी तौल नहीं पाते है। सच्चा दोस्तों को रखने वाला ही, —लक्ष्मी सिंह

घर

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१ ) है शान सम्मान  दिल जान सुख सामान  मेरी पहचान मेरा प्यारा मकान। २ ) ये घर हमारा इत्र भरा सुंदर न्यारा है सबसे प्यारा बुजुर्गों का सहारा। ३ ) ये घर सुंदर सुखकर खुदा का दर जीवन अंदर प्यार का समन्दर। ४ ) न धन सदन परिजन सुन्दर मन आकर्षक तन आनंदित जीवन ५ ) ये घर दीवार परिवार सुख का द्वार अपनों का प्यार जीवन का आधार।  

सहारा

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कोई भी नहीं हमारा है।  कविता ही एक सहारा है।  गम ,बेबसी ,बगावत में भी , ये करता नहीं किनारा है।  आँसू से भींगे पलकों पर , सजाता ख्वाब दोबारा है।  जब भी जो भी कहना चाहा , सुनने से नहीं नकारा है।  दबा हुआ जो मेरे अंदर , बहती  नदिया की धारा है।  चुन-चुन कर मन के भावों को , इन कागजों पर उतारा है।  मेरे बिखरे जज्बातों को , शब्दों में बांध सवारा है।  हौसला बुलंद किया मेरा , ये मुझको सबसे प्यारा है। -लक्ष्मी सिंह 

रिश्ता

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१) है रिश्ता मिठास कुछ  खास प्रेम प्रयास अटल विश्वास सुखद अहसास । २ ) ये रिश्ता सम्मान अनजान सारा जहान एक पहचान ईश्वर  वरदान। ३ ) ये रिश्ता जीवन मधुवन अपनापन  प्रेम का बंधन है सबसे पावन। ४ ) ये रिश्ते हँसते गुलदस्ते दिल के रास्ते  प्रेम के फरिश्ते जीवन में बसते। ५ ) ये रिश्ता हमारा प्रेम भरा नदी की धरा जीवन सहारा सागर से गहरा। ६ ) ये रिश्ता संसार मनुहार प्यार-दुलार जीवन आधार सतत व्यवहार। ७ ) ये रिश्ता अर्पण हर क्षण  दिव्य तर्पण  प्रेम समर्पण जीवन का दर्पण ।  -लक्ष्मी  सिंह 

खुशी

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खुशी जीत की नई परिभाषा   का नाम  है।  जीवन जीने की चाहत  का एक   जाम है। गम की बेला आती है जीवन में  सब के, इसी से ही तो सजता खुशियों  का दाम है।     मायूसी से  भरे    इस पूरे संसार में, खुशी ही तो लाता आशा   का पैगाम है।  खुली आखों से खुशी कभी भी नहीं दिखती,  मन के आखों से लेना पड़ता काम है।  छोटी-छोटी खुशी में ही तो जिन्दगी है , सभी चिन्ता से  मुक्ति  खुशी का परिणा म है । जो दूसरो का  गम थोड़ा भी  बांट लेता,  उस के ही जीवन में  खु शि याँ  सुबह -शाम है।  -लक्ष्मी सिंह 

वृक्ष

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१) है वृक्ष भावनी सुहावनी प्राण वाहनी जीवन दायिनी देव अनुदायनी। २ ) है वृक्ष महान मूल्यवान गुणों की खान अति दिव्य दान ईश्वर  वरदान। ३ ) है वृक्ष बहार फलदार धरा श्रृंगार जीवन आधार खुशहाली का द्वार। ४ ) है वृक्ष चरित्र हरा चित्र हमारा मित्र देता दवा इत्र करे हवा पवित्र। ५ ) है वन जीवन सर्वधन सुख साधन सूखा प्रभंजन कर लो आराधन -लक्ष्मी सिंह