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Showing posts from November, 2017

अन्तर्मन

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चिंतन-मंथन कीजिए , अन्तर्मन से रोज । दिव्य दृष्टि होगी प्रखर , सहज सत्य की खोज ।। राधा जी धड़कन बसे, अन्तर्मन में श्याम। रोम-रोम सुमिरन करें, हर पल तेरा नाम ।। जब अन्तर्मन से मिले,कोई आशीर्वाद। जागे किस्मत इस तरह, दुनिया करती याद।। अन्तर्मन की वेदना,उभर कंठ में आय। अधरों को छूते हुए, मुख से निकले हाय।। देना दुख मन को नहीं, वहाँ बसे भगवान। अन्तर्मन की आह से, होता है नुकसान।। —लक्ष्मी सिंह

शब्द -औकात, बदजात.तहकीकात, मुलाकात.शुरुआत

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टूट रही हैं ख्वाहिशें, बुझे हुए हालात। वक्त बताता है यहाँ, किसकी क्या औकात।। जब भी की इसने यहाँ, सच्ची सीधी बात। लोग इसे कहने लगे, ये औरत बदजात।। जीवन भर सहते रहे, अपनों का प्रतिघात। कभी नहीं इसने किया, हक की तहकीकात।। अश्क पोछते-पोछते, गुजरे हैं दिन-रात। ख्वाबों में भी ना हुई, खुशी से मुलाकात।। डर मत काली रात से, कहने लगा प्रभात। जीवन की फिर से करो, एक नई शुरुआत।। -लक्ष्मी सिंह 

शाम सुहानी

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शाम सुहानी दे रही, प्यार भरा पैगाम। कुछ-पल बैठे साथ में, इक-दूजे को थाम।। 1 जीवन भर यूँ ही बहे, प्यार भरी यह नाव। तेरे नयनों में रहूँ, पाऊँ दिल में ठाँव ।। 2 तुम ही हो मंजिल पिया, तुम ही हो हमराह। जीवन से बढ़कर मुझे, इक तेरी है चाह।। 3 मुझ पर रखना तुम सदा, प्यार भरा विश्वास। देख कभी ना तोड़ना, जीवन की ये आस।। 4 आँधी, तूफाँ हो कभी,या जीवन मझधार। साथी मुझको डर नहीं, जब तुम खेवनहार।। 5 तुम सा जो माँझी मिला, नहीं किनारा दूर। जीवन बगिया खिल उठी, खुशी मिली भरपूर।। 6 तेरा प्यार लगे मुझे, जैसे शीतल भोर। दुनिया में है ही नहीं, तुम सा कोई और।। 7 जैसे खुश्बू फूल में, सागर संग तरंग। वैसे ही है साथिया, तेरा मेरा संग।। 8 जब से दिल में तुम बसे, ओ मेरे मनमीत। कोयल सा दिल गा उठे, मीठा कोई गीत।। 9 चाँदनी से सजी हुई, बड़ी सुहानी रात। सपनों की बाहें खुले, कर ले प्यारी बात।। 10 सागर तट बैठे रहें, ले हाथों में हाथ। जब थामें हो हाथ तो, सब दिन देना साथ।। 11 जब से हम करने लगे, दिल ही दिल में प्यार। तब से पता चला मुझे, अपनी पहली हार।। 12 दिल के हाथों हो गये, हम इतने मजबूर। तुम से प...

प्रदूषण

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दिल्ली का मत पूछिए, क्या बतलाये हाल। जहरीली हवाओं से, हर कोई बेहाल।। 1 वायु प्रदूषण बढ़ गया, धूल-धुआँ का कहर। साँसों में घुलने लगा, तेजी से ये जहर। ।2 बद से बदतर हो गई, दिल्ली का हालात। पर्यावरण सुरक्षा का, फिर भी करें नहिं बात।। 3 दिल्ली देश का दिल है, जनता है बेहाल। आँख मूद कर सो रहा, देख केजरीवाल।। 4 —लक्ष्मी सिंह 

ना मै तुलसीदास हूँ,

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ना मै तुलसीदास हूँ, ना ही संत कबीर। फिर क्यों दुनिया देख कर, कलम बहाये नीर।। १ लय-यति-गति-सुर-ताल से, मैं तो हूँ अनजान । गुणी जनों के साथ से , मिल जाएगा ज्ञान ।।२ – लक्ष्मी सिंह    

वक्त

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🌹🌹🌹🌹🌹 विधा - दोहा छंद 🌹🌹🌹🌹🌹 वक्त एक ऐसा गुरू, बिना कहे दे ज्ञान। जीवन में जीता सदा, जिसे वक्त का भान।। 1 वक्त बेवक्त वक्त में, ऐसा वक्त दिखाय। जीवन भर भूले नहीं, ऐसा सबक सिखाय।। 2 वक्त कटे कटता नहीं, दर्द भरी है रात। कोई भी साथी नहीं, समझे मन की बात।। 3 वक्त बुरा जब आय तो, उम्मीदों को थाम। कर्म सदा करते रहो, लेकर प्रभु का नाम।। 4 चलता ही रहता सदा, वक्त बड़ा बलवान। ढला वक्त अनुरूप जो, वही है ज्ञानवान।। 5 चाल बहुत ही तेज है, वक्त सदा गतिमान। नापे जाये जो इसे, होता वही महान।। 6 वक्त किसी का भी नहीं, इसे न कोई चाह।  नियत वेग से ये चले , कभी रूके न राह।। 7 रोक न पाये वक्त को, अनल वायु की चाल। फांस न पाये वक्त को, आखेटक के जाल।। 8 वक्त बदलता है सदा, बदल वक्त के साथ । जीवन में अपने सदा, चल उसूल के हाथ।। 9 वक्त बीतता जा रहा, रह जाती बस याद। वक्त गुलाम किया हमें, खुद घूमे आजाद।। 10 काम वक्त पर जो किया, मन में खुशी समाय। अगर वक्त पर ना किया, वो पीछे पछताय।। 11 वक्त गुजर जो भी रहा, वे इतिहास बनाय।...

खुद से प्यार।

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🌹 🌹 विधा - दोहा छंद  🌹 🌹 बात पते की मैं कहूँ, सुन लो मेरे यार।  दूजे खातिर मर लिया, खुद से कर लो प्यार।। 1 खुद के लिए भी बनिए, आप ईमानदार।   सीखो तुम अपने लिए, करना खुद से प्यार।। 2 जीवन में थोड़ा समय, खुद के लिए निकाल।   खुद पर पहले ध्यान दे, फिर रख सबका ख्याल।। 3 खुद से करना प्रेम तो, होता मनुज स्वभाव।   खुद ही खुद से पूछिए, मिलेगा सब जवाब।। 4 खुद का किसी से तुलना, करना है बेकार।   जैसे हो वैसे करो, खुद को तुम स्वीकार।। 5 दोषी खुद को मान कर, बिन गलती अफसोस।   बंद करो धिक्कारना, खुद को देना दोष।। 6 खुद को लल्लू नासमझ, और समझना मंद।   नीचा दिखाना खुद को, कर दो बिलकुल बंद।। 7 खुद से खुद को तौलिए, जाने खुद का मोल।   व्यर्थ यहाँ कोई नहीं, हर कोई अनमोल।। 8 अपनी गलती को सदा, करें स्वयं स्वीकार।   गलती से लेकर सबक, उसका करो सुधार।। 9 खुद के प्रति दयालु बने, समझे खुद को खास।   हिम्मत ताकत हौसला, बढ़े आत्मविश्वास।। 10 मन में हमेशा रखना, सकारात्मक विचार। ...

परिवार

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🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 🌹 🌹 सबसे  अभिन्न अंग है, जीवन का परिवार ।  प्रेम - स्नेह से सींच कर, स्वर्ग बने घर-द्वार।। तिनका तिनका जोड़कर, बनता है आवास।  जहाँ एक सम भाव हो ,सुखद -शांति का वास।। 🌹 🌹 🌹 🌹 🌹 —लक्ष्मी सिंह  💓