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Showing posts from April, 2018

नेकी

नेकी-नेकी कह मरा ,नेक किया नहिं काम। जीवन भर छलता रहा ,बस नेकी के नाम।। सदा नेक बनकर रहें ,चल नेकी की राह। जग में सच्चा सुख मिले,मन में शांति अथाह।। -लक्ष्मी सिंह 

गाँव।

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प्यारा प्राणों से लगे ,मुझको मेरा गाँव।   बरगद पीपल की जहाँ ,फैली शीतल छाँव।।१  शुद्ध दूध ताजी हवा,रंग-बिरंगें फूल।  कच्ची-पक्की सड़क से ,उड़ती रहती धूल।।२  मक्के की रोटी जहाँ ,दूध-दही के खान।  सुबह-सबेरे जल्द ही ,होता है  जलपान।।३  हर ऑंगन तुलसी लगी ,दान-धर्म-सुख-सार।  हरियाली के बीच में ,है सुख-शांति अपार।।४  प्रकृति की अनुपम छटा ,कितने सुन्दर रूप।  मनमोहक हर दृश्य है ,बाग-बगीचा कूप।।५  लहलहाती हरी फसल ,भरा खेत-खलिहान।  बना हुआ है खेत में ,ऊँचा एक मचान।।६  खेती तपती धूप में ,करते जहाँ किसान।  धरती माँ की कोख से ,पैदा करते धान।।७  कभी भूल पाऊँ नहीं,इस मिट्टी की गंध।  घुला-मिला जिसमें रहा ,पसीने की सुगंध।।८  सीधा-सादा-सा सरल ,जीवन जीते लोग।  एक-दूसरे को करें ,हर संभव सहयोग।।९  घर मिट्टी से है बने ,घास-फूस खपरैल।  हल-हलवाहे हैं जहाँ ,दरवाजे पर बैल।।१० चुल्हे मिट्टी के जहाँ ,मीठे  गुड़  पकवान। हुक्का पीत...

मात-पिता ,भाई-बहन ,बचपन का अहसास।

मात-पिता ,भाई-बहन ,बचपन का अहसास। दूरी कितनी भी रहे ,रहते मन के पास।।

शादी

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गुड्डे -गुड़िया का नहीं ,शादी कोई खेल। ये वो बंधन है जहाँ ,होता दिल का मेल।। जाति-धर्म-मजहब नहीं ,शादी की पहचान। जीवन भर जो साथ दे ,उसको साथी मान।। दो पावन -सा दिल मिले ,जीवन पथ की राह। जीवन नैया प्रेम से ,ले चल सुख की छाँह।। गूँज उठी शहनाइयाँ ,बड़ी सुहानी रात। मीठे -रिश्तें  की करें ,शादी नव शुरुआत।। रीति -रिवाजों से भरा ,शादी बंधन खास। जो जीवन में घोलता ,अनुपम  मिलन  मिठास।। अदभुत अंजाना बड़ा, शादी सुन्दर रीत। रूह -रूह को जोड़ता ,दिल में बढ़ता प्रीत।। शादी लम्हा प्यार का खुशियों की संगीत। वर वधु मिलकर रहे ,गाये सुख के गीत।। एक बने दो अजनबी ,शादी ऐसी रीत। तब जीवन भर के लिए , बन जाते मन मीत।। ऐसे जीवन भर रहो , दो जिस्म और जान। एक दूसरे के लिए ,दिल में हो सम्मान।। सिर्फ एक बंधन नहीं  ,शादी है विश्वास। प्रेम-भाव से जो टिके ,नादानी करे खलास।। -लक्ष्मी सिंह 

हे वंशीधर श्याम।

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 April 16, 2018 आन बसो मेरे नयन, हे वंशीधर श्याम। नैना बरसत हर घड़ी, लेकर तेरा नाम।। १ माँझी बनकर श्याम जी, भव से पार उतार। मैं हूँ तेरी सांवरे, सुन लो हृदय पुकार।। २ मोर मुकुट तन काछनी, घुँघराले से केश। गिरधर मीरा को मिले, धर नटवर का वेष।। ३ ढूंढ़ रही मैं सांवरा,धर कर जोगन वेश। ढूंढ़-ढूंढ़ कर युग गया, श्वेत हो गये केश।। ४ -लक्ष्मी सिंह

पवित्र अग्नि के सात फेरे

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पवित्र अग्नि के सात फेरे , जन्म -जन्म तक अब हम तेरे।  जो थे तेरे अब वो मेरे , जो थे मेरे अब वो तेरे। सात वचन जन्मों के वादे, हाथों में लेकर हाथ किये।  बना साक्षी ध्रुव का तारा, गठबंधन दोनों साथ किये।  नव जीवन की शुरुआत के , नव खुशी मन आस के फेरे।  पवित्र अग्नि के सात फेरे ..... पिया प्रीत की जोड़े पहने ,  अब छोड़ चली बचपन अपने।  पूरे हुए अधूरे सपने , जो थे पराये हुए अपने। दो परिवार को संग जोड़े , पावन-सी रिश्तों के घेरे। पवित्र अग्नि के सात फेरे ..... मेरी दुनिया अब तुम मेरे , तुम से रौशन जीवन मेरे।  मान -प्रतिष्ठा तुम से मेरे , साज -श्रृंगार साजन मेरे।  प्रेम -प्रीत के बाँधे डोरे , हर वचन विश्वास के फेरे।  पवित्र अग्नि के सात फेरे ..... साँस -साँस की गंध समेटे , जब तक जिऊँ रहो तुम मेरे।  हो तेरे बाहों के घेरे , गोदी में निकले दम मेरे।  मुख -अग्नि मिले हाथों तेरे , निभे सात वचन अग्नि के फेरे।  पवित्र अग्नि के सात फेरे ..... -लक्ष्मी सिंह ...

श्याम नाम

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माधव,मधुसूदन,मदन,मनमोहन,घनश्याम। कितने तेरे रूप हैं ,कितने तेरे नाम।।१ महिमा तेरे नाम की , जपते भव से पार। श्याम नाम की ज्योति से ,जीवन हो गुलजार।।२  मत भूलो श्री श्याम को ,जाना सागर पार। जीवन छोटी नाव है,श्याम नाम पतवार।।३ श्याम भजन का तो नहीं ,कोई निश्चित काल। जप लो जब मौका मिले ,प्रभु हैं दीन दयाल।। ४ जीवन नैया सौंप दे ,प्यारे प्रभु के नाम। श्याम नाम सुमिरन करें ,बन जायेगा काम।।५ श्याम नाम जो भी जपा  ,उसका बेड़ा पार। डरना फिर किस बात से ,रक्षक जब सरकार।।६ -लक्ष्मी सिंह 

रब कहाँ ?

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🌹   🌹   🌹   🌹   मात - पिता मासूम में, रब बसते हैं रोज।   नादाँ मानव रब भला, कहाँ रहा है खोज।। १ रब तलाश खुद में करो, फिर दूजे में ढूंढ।   मिल जायेगा रब तुझे, नहीं रहेगा मूढ़।। २ मन में है विश्वास तो, पत्थर में भगवान।   वरना दुनिया में सभी, लगते हैं शैतान।। ३ इंसा बस इंसान है, समझ नहीं भगवान। कलयुग में मत खोजिए, रब जैसा इंसान ।। ४ इंसानों में रब बसे, ये है सच्ची बात।   पर कलयुग ने दे दिया, अब इसको भी मात।। ६ करना है तो कीजिए, खुद में खुदा तलाश।   मिल जायेगा खुद खुदा, रख खुद पर विश्वास।। ७ 🌹   🌹   🌹   🌹   -लक्ष्मी सिंह   💓   ☺

सुरसरि शंकर सिर सजे

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🌹   🌹   🌹   🌹   सुरसरि शंकर सिर सजे, शोभा सुमन समान।  सेवत संतनजन सदा, सुमिरत सकल जहान।।  🌹   🌹   🌹   🌹  -लक्ष्मी सिंह  💓   ☺

महानगरिय जीवन

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🌹   🌹   🌹   🌹   jमहानगर में गुमशुदा, है मेरी पहचान।   हिस्सा हूँ बस भीड़ का, हर कोई अनजान।। १ है मशीन-सी जिन्दगी, सभी चीज गतिमान।   महानगर बिखरा हुआ, तन्हा हर इंसान।। २ शोर-शराबे में दबी, खुद अपनी अावाज।   महानगर में गंदगी, धुन्ध-धुआँ का राज।। ३ महानगर में तेज है, जीवन की रफ़्तार।   चका-चौंध में हैं दफन, रिश्ते-नाते प्यार।। ४ शुद्ध हवा पानी नहीं, दम-घोटू माहौल।   पहनावे को देख कर, जाती आत्मा खौल।। ५ महानगर में हो रहा, पश्चिम का अवतार।   होती गरिमा प्रेम की, यहाँ देह विस्तार।। ६ सहज खींच लाती यहाँ, भौतिक सुख की खोज।   आपा-धापी हर तरफ, लगी हुई है रोज।। ७ महानगर कहते जिसे, होता नहीं महान।   इमारतें ऊँची मगर, निम्न कोटि इन्सान।। ८ महानगर को देखकर, मन हो गया उचाट।   दया-धर्म ममता नहीं, बढ़ी मार-अरु-काट।। ९ महानगर के द्वार पर, लिखा एक संदेश।   आने वालों छोड़ दो, मानवता का वेश।। १ ० 🌹   🌹   🌹   🌹  - लक्ष्मी सिंह...

बीस साल तक खिच गया, काला हिरण शिकार।

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  🌹   🌹 &&   🌹   🌹   बीस साल तक खिच गया, काला हिरण शिकार।   हुआ देर से न्याय तो, न्याय नहीं सरकार।। १ जिसे कद्र पशु का नहीं, नहीं कद्र इन्सान।   नर औ'मृग हत्या किया, ऐसा है सलमान।।२ नर हत्या से बच गया,गया नहीं मृग पाप।   विश्नोई परिवार ने, जड़ दी उसको थाप।। ३ सल्लू घोषित तौर पर, एक बुरा इन्सान।   बैड बाॅय से बन गया , सबका भाई जान।।४ सल्लू को झटका लगा,मिली सजा जब आज।   फिर भी तेवर है वहीं, वैसा ही अंदाज।।५ लाख जतन उसने किया, फिर भी मिला न बेल।   मृग हत्या के जुर्म में, पाँच साल तक जेल।।६ 🌹   🌹   🌹  -लक्ष्मी सिंह  💓   ☺

मूर्ख दिवस

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🌹   🌹   🌹   🌹   चलो खुराफाती करें, मूर्ख दिवस है आज।  रखना प्यारे दोस्त के, सिर मूर्खों का ताज।। १ मूर्ख दिवस पर तो सभी, बने हैं चालबाज।  दोस्त कभी आते नहीं, इस आदत से बाज।। २ दोस्त शरारत तो करे , करे नहीं नाराज।   दोस्त बिना होता नहीं, मूर्ख दिवस पर नाज।। ३ मार्च माह के बाद में, आता है अप्रैल।   मूर्ख भरी हर बात से, धोता दिल का मैल।। ४ मस्ती मजाक हो मगर, इतना रखना ध्यान।   मूर्ख भरी व्यवहार से, करें नहीं नुकसान।। ५ कलम शरारत की चले, लिख दे हर अहसास ।   डुबो हँसी की स्याह में, रंग दे कैनवास।। ६ 🌹   🌹   🌹   🌹   —लक्ष्मी सिंह   💓   ☺